बुधवार, 2 जुलाई 2025

वीरा धीरा सूरन फिल्म रिव्यू – विक्रम की नई एक्शन थ्रिलर की पूरी समीक्ष

 

परिचय

‘वीरा, धीरा, सूरन’ (Veera Dheera Sooran) स. यू. अरुण कुमार निर्देशित एक मार्मिक और तीव्र एक्शन–थ्रिलर है, जिसमें मुख्य भूमिका में ख्यातिनाम अभिनेता चियान विक्रम हैं। यह फिल्म विशेष रूप से ‘फास्ट पैस्ड’ आरंभ और धीरे-धीरे खुलती कथा की वजह से दर्शकों के बीच चर्चा में रही। विक्रम की सू-बोझ, एस. जे. सुर्या की रहस्यमयी हाज़री, और सुराज़ वेंजरामूडू का पहली बार तमिल में नजर आने वाला रूप एक नया रंग भरता है 


कहानी और पटकथा

कहानी मदुरै के एक स्थानीय मेला रात की पृष्ठभूमि पर आधारित है। स्पर्धा (SJ Suryah द्वारा निभाया गया) एक ठोस और खतरनाक पुलिस अधिकारी है, जो मोड़ लेता है जब रवि (Prithviraj/Prudhvi Raj) का पुत्र कन्ना (Suraj Venjaramoodu) उसके टारगेट में आता है। रवि का बेटा मारा जा सकता है — तभी रवि अपने पुराने भरोसेमंद काली (विक्रम) से मदद मांगता है।

यह काली अब आत्मनिर्भर जीवन जी रहा है, खेती-राज़, पत्नी और दो बच्चों के साथ, जब उसे एक बार फिर उसकी हिंसक अतीत की ओर खींचा जा रहा है। निर्देशक स. यू. अरुण कुमार ने कथा संरचना में इसी दोहरे “पुराना बनाम नया” भाव का इस्तेमाल बहुत चतुराई से किया है


 अभिनय

चियान विक्रम (काली)

विक्रम की अदा इस फिल्म का सबसे सशक्त पहलू है। उनके शांत और सधे हुए अभिनय में जब अचानक क्रोध, परिवार के लिए समर्पण, और एक्शन का उग्र रूप आता है, तो हर फ्रेम जीवंत हो उठता है

एस. जे. सुर्या (स्पर्धा/अरुणगिरी)

यह किरदार बहुत ही झकझोरने वाला है — सुर्या इस भूमिका में गंभीरता, पारदर्शी मूड, और कुछ-कुछ मनोवैज्ञानिक जटिलता के साथ उभरते हैं। इसमें कुछ कॉमेडी तड़का और एक अलग तीखी धार है

प्रित्विराज / प्रद्वी राज (रवि) और सुराज वेंजरामूडू (कन्ना)

रवि की भूमिका में प्रित्विराज की उपस्थिति शांत लेकिन आक्रामक बनावट में दिखती है। उनके बेटे कन्ना को पहली बार गंभीर रूप में देखा गया—जिने सुराज ने बहुत गहराई से निभाया है

दुषारा विजयन (वाणी/कलै)

काली की पत्नी के रूप में दुषारा विजयन का किरदार सिर्फ सहायक नहीं, बल्कि भावनाओं का मूल समर्थन बनकर सामने आता है — एक मजबूत महिला की भूमिका में वह सहज और गरिमावान दिखती हैं


 तकनीकी पक्ष

निर्देशन (स. यू. अरुण कुमार)

डायरेक्टर ने फिल्म को एक रातभर का संघर्ष बना दिया है—पहला 25-30 मिनट बिना बैक‑स्टोरी के शुरू होता है तथा तंगी-भरा इंटेरवल दर्शकों को चौका देता है

उनका अहम निर्णय था: कम फ्लैशबैक, धीमी गति, और स्टोरी बिल्ड‑अप — जिससे फिल्म “करोड़ों रुपयों की पैन-इंडियन ब्लॉकबस्टर” की अपेक्षा से हटकर, एक स्थिर, गंभीर ड्रामा बनकर दिखाई दे। हालांकि द्वितीयार्ध में इसकी धीमी गति कुछ दर्शकों को थका सकती है

स्क्रीनप्ले और पटकथा

पहले हिस्से में कई सेट‑अप भविष्य के लिए तय किए जाते हैं, जैसे दोस्त‑दोस्त की तीखी टकराहट, Landmine सीन आदि । लेकिन फ्लैशबैक वाला सेक्शन अधूरापन और धीमा रुख अपनाता दिखता है — कुछ समीक्षकों ने इसे “थोड़ी कमज़ोर पहेली” बताया है

फ्लैशबैक

कुछ समीक्षकों ने फिल्म के मध्य‑भाग में फ्लैशबैक के लंबे और असंगत रहने को कमज़ोर मापदंड कहा है । हालांकि निर्देशक ने कोशिश की अतीत की रहस्यमय घटनाओं को धीरे-धीरे उजागर करें — लेकिन पूरा असर मिलना थोड़ी चुनौती बनकर सामने आया।


 साउंड और कैमरा

भव्य स्कोर (जी. वी. प्रकाश कुमार)

बैकग्राउंड स्कोर ने टेंशन और थ्रिल के दृश्य को और गहराई से बांधा है। गानी “Ayla Allela” और “Kalloorum” जैसे गाने शांत ड्रामे को प्राकृतिक तरीके से जोड़ते हैं

छायांकन (थेनी इस्वर)

Madurai की रात‑भर की सड़कों और भीड़ का रूखापन, गंदगी, और असली डार्कनेस कैमरे से अचानक उभरकर आती है — जिसकी वजह से सीन में स्थिति की यथार्थता और दृश्यात्मक घनत्व जुड़ता है

एक्शन सीक्वेंस

Landmine विस्फोट और पुलिस–गैंगस्टर कॉनफ्लिक्ट जैसे दृश्य स्पष्ट और जोड़दार हैं। निर्देशक ने डायनामिक वन‑शॉट तकनीक अपनाई है, जिसने पहलू को और अधिक जोड़दार बनाया है


 सकारात्मक पहलू

  1. विक्रम का सशक्त दबदबा

    • इस फिल्म में विक्रम का केंद्रबिंदु है—उनकी restrained performance, controlled fondo, कई दृश्यों में subtle भावना नज़र आती है

  2. यथार्थपरक एक्शन और दृश्य

    • Landmine सीन, रोडसाइड टकराहट, और पुलिस–गैंगस्टर बात‑चित का असलीपन कहानी को खरा बनाता है

  3. केन्द्रीय कहानियों के बीच संतुलन

    • पुलिस, गैंगस्टर, परिवार और पुरानी दोस्ती — इन सभी आयामों को एक साथ रखकर फिल्म जटिल राग प्रस्तुत करती है

  4. नए चेहरे और किरदार

    • Suraj, Prithviraj, Dushara सभी ने विपरीत भूमिकाओं में आत्मिक संघर्ष दिखाया है — खासकर Suraj का मलयालम‑भाषा में दमदार अभिनय 


 चुनौतियाँ / सुधार के सुझाव

  1. धीमी गति (Second Half Drag)

    • विशेषकर Flashback सेक्शन में कुछ दृश्य लम्बे खिंचे हुए हैं

  2. अति व्याख्या (Over-Explaining)

    • कुछ हिस्सों में अतीत खुलकर दिखा दिया गया, जो दर्शक की कल्पना को रोकता है

  3. दृश्यात्मक असंगति

    • ग्रामीण यथार्थता और कुछ फिल्‍मी Mass-Masala सीन के बीच एक टोनल अंतर जूझती स्पष्ट है

  4. फ्लैशबैक के संयोजन

    • कहानी को अधिक स्ट्रीमलाइन करने के लिए फ्लैशबैक को और सघन तरीके से मिलाना बेहतर होता।


 सार में — क्या देखें?

  • दरसामान्य एक्शन प्रेमी: धीमी गति थोड़ी मुस्किल लग सकती है, लेकिन उतार-चढ़ाव वाले दृश्य और Vikram की केंद्रीय भूमिका से फायदा मिल सकता है।

  • Vikram के दीवाने: यह उनकी भावनात्मक और अप्रत्याशित भूमिका को देखना पसंद करेंगे।

  • थ्रिलर के शौकीन: Landmine सीन और पुलिस–गैंगस्टर सुगम कहानी काफी प्रभावित करती है।


 रेटिंग सुझाव

यदि 5 में से रेटिंग की जाए तो 3.25–3.5 (उपयुक्त) सही लगती है — जहां storytelling की सूक्ष्मता और acting standard ने कहानी को खरा बनाये रखा, लेकिन रनटाइम और pacing issues की वजह से कुछ गिरावट दिखाई दी


 निष्कर्ष

वीरा, धीरा, सूरन एक अप्रत्याशित, धीमा-पर-तीव्र, असलीपन-भरा अनुभव देता है। यह पारंपरिक एक्शन और भावनात्मक ड्रामा से हटकर, एक मानव-केंद्रित, यथार्थ थ्रिलर के रूप में उभरता है। यदि आप विक्रम की मास्कुलिन ऊर्जा, SJ सुर्या की धीमी तीव्रता, और रणनीतिक स्क्रीनप्ले की सराहना करते हैं — तो यह फिल्म आपको अंदर तक झकझोर देगी। लेकिन यदि आप तेज-तर्रार पटकथा और क्लासिक ब्लॉकबस्टर structure की तलाश में हैं — तो यह थोड़ा अलग रास्ता होगा।

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