हर एक हादसा बहुत से दुख के साथ थोड़े बहुत सबक भी देकर जाता है अहमदाबाद प्लेन क्रैश के बाद बात हो रही है कि एयरपोर्ट के रनवे के पास खाली जमीन होनी चाहिए रिहाइशी आबादी नहीं होनी चाहिए भारत जैसे पॉपुलेटेड देश में यह एक चुनौती है पर हादसे पहले भी हुए हैं और पूरी दुनिया ने उससे सबक भी लिए हैं आपको बताते हैं कि भारत की धरती
भारत के आकाश में हुए पांच सबसे बड़े हवाई हादसों
चरखी दादरी मिड एयर क्लैश 12 नवंबर 1996 को हरियाणा के चरखी दादरी में दो प्लेन की भीषण टक्कर हुई दोनों टूटते हुए जमीन पर आ गिरे 349 लोगों की मौत हो गई कैजुअल्टीज के लिहाज से यह भारत में हुआ सबसे बड़ा हवाई हादसा है जिन दो प्लेेंस की टक्कर हुई उनमें से एक सऊदी अरब एयरलाइंस का bing 747 था और दूसरा विमान था कजाकिस्तान एयरलाइंस का इल्यूशन 76
सऊदी के प्लेन ने दिल्ली से टेक ऑफ किया और कजाक प्लेन को दिल्ली में लैंड करना था दोनों को अपना-अपना ऑल्टीट्यूड एटीसी ने पहले ही बता दिया था इल्यूशन 76 को 14,000 फीट की ऊंचाई पर रहना था जबकि बोइंग 747
को 15,000 फीट का ऑल्टीट्यूड असाइन किया गया था लेकिन पायलट की गलती से कजाक एयरलाइन का प्लेन 14,000 फीट पर आ गया सऊदी वाला प्लेन भी इसी ऊंचाई पर था जब तक यह सब रडार की पकड़ में आता तब तक बहुत देर हो चुकी थी वार्निंग का भी कोई फायदा नहीं हुआ इल्यूशन 76 बोइंग 747 के ठीक नीचे आ चुका था और फिर कजाक प्लेन का ऊपरी हिस्सा सऊदी वाले प्लेन के विंग से टकरा गया | दोनों विमान हवा में टकरा गए और नियंत्रण खोने के बाद नीचे गिर गए, जिससे गंभीर हादसा हुआ। कजाक एयरलाइन की एक चूक से सैकड़ों लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी दोनों प्लेन की सवारियों में कोई नहीं बचा
को 15,000 फीट का ऑल्टीट्यूड असाइन किया गया था लेकिन पायलट की गलती से कजाक एयरलाइन का प्लेन 14,000 फीट पर आ गया सऊदी वाला प्लेन भी इसी ऊंचाई पर था जब तक यह सब रडार की पकड़ में आता तब तक बहुत देर हो चुकी थी वार्निंग का भी कोई फायदा नहीं हुआ इल्यूशन 76 बोइंग 747 के ठीक नीचे आ चुका था और फिर कजाक प्लेन का ऊपरी हिस्सा सऊदी वाले प्लेन के विंग से टकरा गया | दोनों विमान हवा में टकरा गए और नियंत्रण खोने के बाद नीचे गिर गए, जिससे गंभीर हादसा हुआ। कजाक एयरलाइन की एक चूक से सैकड़ों लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी दोनों प्लेन की सवारियों में कोई नहीं बचा
भारत के आकाश में हुए दूसरा सबसे बड़े हवाई हादसा
एपरर अशोका क्रैश 1 जनवरी 1978 की तारीख रात 8:15 का वक्त था मुंबई के साक्र क्रूज हवाई अड्डे से एक शानदार विमान दुबई के लिए उड़ा एयर इंडिया ने मशहूर बोइंग 747 सीरीज खरीदी थी उसी खेप का यह पहला विमान था नाम रखा गया एपरर अशोका प्लेन 8000 फीट की ऊंचाई पार कर चुका था डिपार्चर कंट्रोलर ने रात 8:17 पर विमान के कॉकपेट से संपर्क किया 1 मिनट की बातचीत हुई नए साल की बधाई दी गई सब कुछ सही सलामत था लेकिन बातचीत के ठीक 22 सेकंड बाद ही धड़ाम की आवाज आई एपरर अशोका अरब सागर की ओर गिर रहा था उड़ान भरने के
महज 3 मिनट के भीतर ही 213 लोगों के साथ यह पूरा प्लेन समंदर में जा समाया 190 यात्री 20 फ्लाइट अटेंडेंट दो विमान समुद्र में गिर गया, और इस दुर्घटना में सभी यात्रियों की मृत्यु हो गई। एपरर अशोका में कुल 340 यात्री बैठ सकते थे गनीमत यह थी कि उड़ान में 13 घंटे की देरी हुई इस वजह से 126 यात्रियों ने अपने टिकट्स कैंसिल
करवा लिए थे 18 अप्रैल 1971 को इसने मुंबई से अपनी पहली उड़ान भरी थी 1 जनवरी 1978 को मुंबई के ही आसमान में इसे आखिरी बार उड़ते हुए देखा गया इस क्रैश को सबसे पहले देखा था इंडियन नेवी के कमांडर सैद ने वो अरब सागर में ही पोस्टेड थे जब उन्होंने देखा तो एपरर अशुका 45° के एंगल पर सीधे समंदर की ओर बढ़ा आ रहा था तब तक उसमें कोई आग नहीं लगी थी विमान की हेडलाइट भी जल रही थी लेकिन फिर कुछ सेकंड ऐसे ही बीते और फिर जोर की आवाज आई देखते ही देखते यह प्लेन समंदर में समा गया हादसे की वजह थी एटीट्यूड डायरेक्टर इंडिकेटर यानी एडीआई इसमें आई खराबी यह सिस्टम पायलट को यह बताता है कि जमीन की सतह के हिसाब से एयरक्राफ्ट की पोजीशन आखिर क्या है साग क्रूज एयरपोर्ट से उड़ान भरने के तुरंत बाद एपरर अशोका का एडीआई बिगड़ गया पायलट को यह संकेत गया कि विमान दाहिनी ओर झुका हुआ है जबकि उस समय प्लेन सीधा था लिहाजा पायलट ने विमान को सीधा करने के लिए बाई ओर प्लेन को झुका दिया और इसी वजह से यह प्लेन क्रैश हुआ
भारत के आकाश में हुए तीसरा सबसे बड़े हवाई हादसा
इंडिया एक्सप्रेस फ्लाइट 812 क्रैश 22 मई 2010 की सुबह एयर इंडिया एक्सप्रेस फ्लाइट 812 दुबई से भारत आ रही थी और इसे कर्नाटक के मंगल एयरपोर्ट पर लैंड करना था रनवे पर उतरते वक्त प्लेन की रफ्तार काफी तेज थी क्योंकि इस एयरपोर्ट का रनवे एक टेबल टॉप रनवे है यानी जिसके दोनों तरफ खाइयां हैं रनवे छोटा भी है इसलिए वहां पर एक छोटी सी चूक भी जानलेवा साबित हो सकती थी पायलट ने प्लेन को रनवे पर उतारने में देरी कर दी लिहाजा ब्रेक लगाने के लिए पर्याप्त समय नहीं बचा पायलट ने प्लेन पर नियंत्रण खो दिया जब तक प्लेन रुक पाता वह रनवे के आगे जा चुका था एयर इंडिया का विमान फिसलकर एक गहरी खाई में जा गिरा प्लेन के दो हिस्से हो गए उसमें जबरदस्त आग लग गई प्लेन में
मौजूद 166 में से 158 लोगों की मौत हो गई हादसे की वजह बताई गई पायलट की थकान इस कारण से प्लेन को वो रनवे पर उतारने में देरी हुई और यह बड़ा क्रैश हुआ
भारत के आकाश में हुए चौथा सबसे बड़े हवाई हादसा
इंडियन एयरलाइंस फ्लाइट 113 का हादसा तारीख 19 अक्टूबर 1988 मुंबई से इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट 113 को उड़ान भरनी थी यह बोइंग का 737 प्लेन था इसकी मंजिल थी अहमदाबाद फ्लाइट में 129 यात्री और छह क्रू मेंबर सवार थे 6:05 पर विमान ने उड़ान भरी लेकिन अहमदाबाद लैंड करने से ठीक पहले ही यह क्रैश हो गया 135
में से 133 लोगों की मौत हो गई हादसा हुआ कैसे अचानक मौसम पलट गया चारों ओर धुंध ही धुंध थी सुबह 6:41 पर अहमदाबाद एटीसी को कांटेक्ट किया गया लैंडिंग में दिक्कत आ रही की विज़िबिलिटी केवल सवा मील की ही थी
जो कि हवाई रास्ते के लिए बहुत कम मानी जाती है क्रू ने अहमदाबाद एयरपोर्ट के रनवे नंबर 23 को लैंडिंग के लिए चुना यह वही रनवे 23 है जहां से उड़कर लंदन जा रहा प्लेन 12 जून को क्रैश हुआ था 1988 की उस तारीख को पायलट कुछ हद तक रनवे को खुद ही लोकेट करना चाह रहे थे कोहरे की वजह से विमान रनवे पर नहीं उतर सका 6:53 पर यह
प्लेन पेड़ और बिजली के खंभों से टकरा गया रनवे और क्रैश की गई जगह में सिर्फ 2.5 कि.मी का फासला था यह फासला कभी तय नहीं किया जा सका और 133 लोगों ने अपनी जान गवा दी
में से 133 लोगों की मौत हो गई हादसा हुआ कैसे अचानक मौसम पलट गया चारों ओर धुंध ही धुंध थी सुबह 6:41 पर अहमदाबाद एटीसी को कांटेक्ट किया गया लैंडिंग में दिक्कत आ रही की विज़िबिलिटी केवल सवा मील की ही थी
जो कि हवाई रास्ते के लिए बहुत कम मानी जाती है क्रू ने अहमदाबाद एयरपोर्ट के रनवे नंबर 23 को लैंडिंग के लिए चुना यह वही रनवे 23 है जहां से उड़कर लंदन जा रहा प्लेन 12 जून को क्रैश हुआ था 1988 की उस तारीख को पायलट कुछ हद तक रनवे को खुद ही लोकेट करना चाह रहे थे कोहरे की वजह से विमान रनवे पर नहीं उतर सका 6:53 पर यह
प्लेन पेड़ और बिजली के खंभों से टकरा गया रनवे और क्रैश की गई जगह में सिर्फ 2.5 कि.मी का फासला था यह फासला कभी तय नहीं किया जा सका और 133 लोगों ने अपनी जान गवा दी
भारत के आकाश में हुए पांचवा सबसे बड़े हवाई हादसा
इंडियन एयरलाइंस फ्लाइट 171 तारीख 12 अक्टूबर 1976 इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट 171 ने मुंबई से उड़ान
भरी टेक ऑफ के कुछ समय बाद ही उसमें एक जोरदार धमाका हुआ और प्लेन से आग की लपटें निकलने लगी पायलट ने तुरंत एटीसी से इमरजेंसी लैंडिंग के लिए परमिशन मांगी और वापस लौटने की कोशिश की लेकिन लौटते समय विमान ने अपना संतुलन खो दिया और यह विमान क्रैश हो गया इस प्लेन में मौजूद सभी पहचानवे लोग मारे गए हादसे की वजह क्या रही दाहिने तरफ के इंजन में उड़ान भरते ही विस्फोट हो गया इंजन के टरबाइन ब्लेड ने अलग होकर फ्यूल लाइन में छेद कर दिया जेट फ्यूल लीक होने लगा और कुछ ही सेकंड में प्लेन के पिछले हिस्से में भयंकर आग लग गई आग की वजह से विमान का जो हाइड्रोलिक सिस्टम है उसको भारी नुकसान पहुंचा और फिर पायलट ने इस पर प्लेन पर अपना कंट्रोल खो दिया जिसके बाद प्लेन बेकाबू होकर क्रैश हो गया यह हादसे ऐसे हैं जिनमें कईयों ने अपनों को खोया है 12 जून का अहमदाबाद क्रैश भी ऐसा ही था कैसी भी संवेदना कितनी भी सदी लक्ष्यदार भाषा इस क्षति की पूर्ति नहीं कर सकती एक उम्मीद फिर भी बचती है उम्मीद यह कि पल-पल समृद्ध होती तकनीक इतनी बेहतर हो जाए कि फिर हमें ऐसे दिन ना देखना पड़े
भरी टेक ऑफ के कुछ समय बाद ही उसमें एक जोरदार धमाका हुआ और प्लेन से आग की लपटें निकलने लगी पायलट ने तुरंत एटीसी से इमरजेंसी लैंडिंग के लिए परमिशन मांगी और वापस लौटने की कोशिश की लेकिन लौटते समय विमान ने अपना संतुलन खो दिया और यह विमान क्रैश हो गया इस प्लेन में मौजूद सभी पहचानवे लोग मारे गए हादसे की वजह क्या रही दाहिने तरफ के इंजन में उड़ान भरते ही विस्फोट हो गया इंजन के टरबाइन ब्लेड ने अलग होकर फ्यूल लाइन में छेद कर दिया जेट फ्यूल लीक होने लगा और कुछ ही सेकंड में प्लेन के पिछले हिस्से में भयंकर आग लग गई आग की वजह से विमान का जो हाइड्रोलिक सिस्टम है उसको भारी नुकसान पहुंचा और फिर पायलट ने इस पर प्लेन पर अपना कंट्रोल खो दिया जिसके बाद प्लेन बेकाबू होकर क्रैश हो गया यह हादसे ऐसे हैं जिनमें कईयों ने अपनों को खोया है 12 जून का अहमदाबाद क्रैश भी ऐसा ही था कैसी भी संवेदना कितनी भी सदी लक्ष्यदार भाषा इस क्षति की पूर्ति नहीं कर सकती एक उम्मीद फिर भी बचती है उम्मीद यह कि पल-पल समृद्ध होती तकनीक इतनी बेहतर हो जाए कि फिर हमें ऐसे दिन ना देखना पड़े
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