रविवार, 6 जुलाई 2025

भारत में सीनियर सिटीज़न्स का जिम से जुड़ाव 2025 में कैसे बदल रहा है

 कुछ साल पहले तक, जब आप जिम का नाम लेते थे तो ज़हन में युवा लड़के-लड़कियों की मसल्स बनाते हुए छवि आती थी। लेकिन अब ये तस्वीर बदल रही है।

2025 में, दिल्ली के लक्ष्मी नगर इलाके में रहने वाले 68 वर्षीय रमेश चंद्र वर्मा हर सुबह 6 बजे पास के फिटनेस क्लब में जाते हैं। उनकी दिनचर्या में ट्रेडमिल, हल्की वेट ट्रेनिंग और योग शामिल है। ये सिर्फ रमेश जी की बात नहीं — देशभर में हज़ारों बुज़ुर्ग अब "सिल्वर फिटनेस रिवोल्यूशन" का हिस्सा बन चुके हैं।




1. सोच में बदलाव: बुज़ुर्ग अब थमे नहीं हैं

✅ "बुज़ुर्ग = बीमार" वाली सोच अब पुरानी हो चुकी है।

पहले 60 की उम्र आते-आते लोग खुद को "रिटायर्ड" मान लेते थे — न केवल नौकरी से, बल्कि शरीर और उत्साह से भी। मगर अब "Active Aging" एक नया मंत्र बन गया है।

मैंने खुद देखा कि बरेली में रहने वाली मेरी 65 साल की मामी, जिन्हें पहले सीढ़ियाँ चढ़ने में परेशानी होती थी, अब हफ्ते में 4 दिन योगा क्लास जाती हैं।

"अब डॉक्टर नहीं, जिम से इलाज मिलता है," वे मुस्कुराकर कहती हैं।


2. डॉक्टरों की सलाह में बदलाव

अब डॉक्टर भी सिर्फ दवाइयों की पर्ची नहीं थमा रहे — वे एक्टिव लाइफस्टाइल की सलाह दे रहे हैं।

एम्स, दिल्ली में कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. तन्मय जोशी कहते हैं:

"हर दिन 30 मिनट की हल्की एक्सरसाइज़ बुज़ुर्गों को 5 साल लंबी और बेहतर ज़िंदगी दे सकती है।"


3. जिम अब सीनियर-फ्रेंडली हो रहे हैं

अब जिम का मतलब सिर्फ भारी वेट्स और बॉडीबिल्डिंग नहीं रह गया है।

पुणे के एक लोकल जिम "फिटनेस जोन" में 60+ लोगों के लिए अलग टाइम स्लॉट और कम इंटेंसिटी वाले वर्कआउट्स चल रहे हैं।

जिम में हो रहे बदलाव:

  • लो-इम्पैक्ट मशीनें (जैसे seated bike)

  • अनुभवी ट्रेनर जो बुज़ुर्गों की जरूरत समझते हैं

  • योगा और स्ट्रेचिंग क्लासेस

  • मेडिकल किट और ऑन-साइट नर्स की सुविधा

  • अलग “सीनियर बैच” ताकि कोई झिझक न हो


4. मानसिक स्वास्थ्य पर असर

जिम सिर्फ शरीर को नहीं, मन को भी मज़बूत करता है।

इंदौर की 62 वर्षीय उषा आंटी ने बताया:
"मेरे पति के देहांत के बाद मैं डिप्रेशन में चली गई थी। पर जिम जॉइन करने से मुझे रोज़ कुछ करने का मकसद मिला। अब मुझे नींद भी अच्छी आती है और मन भी शांत रहता है।"

जिम एक नई सोशल दुनिया बन गया है, जहां लोग एक-दूसरे को मोटिवेट करते हैं।


5. डिजिटल जागरूकता की भूमिका

अब बुज़ुर्ग सिर्फ टीवी नहीं देखते — वे YouTube पर “Yoga for Seniors” सर्च करते हैं, WhatsApp ग्रुप में फिटनेस रील्स शेयर करते हैं, और Facebook पर हेल्थ अपडेट्स पढ़ते हैं।

  • "Walk at Home – Leslie Sansone"

  • "Senior Yoga – Sadhguru & Baba Ramdev"

जैसे चैनल्स बुज़ुर्गों को घर बैठे फिट रहने में मदद कर रहे हैं।


6. परिवार का समर्थन: सबसे बड़ी ताकत

अगर परिवार साथ दे, तो कोई भी उम्र में बदलाव लाया जा सकता है।

जयपुर के रोहित शर्मा हर रविवार को अपने पापा को अपने साथ जिम लेकर जाते हैं। उनका कहना है:

"पहले पापा टीवी के सामने बैठे रहते थे। अब वे मुझसे पहले जिम जाने को तैयार रहते हैं।"


7. बुज़ुर्गों के लिए उपयोगी वर्कआउट्स

व्यायामलाभ
वॉकिंग / ट्रेडमिल       हार्ट हेल्थ, ब्लड प्रेशर नियंत्रण
योग और प्राणायाम         स्ट्रेस घटाना, लचीलापन
हल्की वेट ट्रेनिंग       मांसपेशियों की ताक़त बनाए रखना
बैलेंस एक्सरसाइज़            गिरने से बचाव
स्ट्रेचिंग                              जोड़ों की गतिशीलता बेहतर करना

8. कुछ चुनौतियाँ और उनके हल

चुनौतीसमाधान
स्वास्थ्य समस्याएं           पर्सनल ट्रेनर की निगरानी में व्यायाम
दूरी या ट्रांसपोर्ट            घर के पास फिटनेस क्लब चुनना
झिझक / डर            समान उम्र वालों के साथ बैच
फीस            सीनियर डिस्काउंट मेंबरशिप


9. सरकारी और NGO प्रयास

  • भारत सरकार के "राष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक स्वास्थ्य मिशन" में अब Senior Wellness Centers खोले जा रहे हैं।

  • HelpAge India, Agewell Foundation जैसे NGO बुज़ुर्गों को योगा ट्रेनिंग और एक्सरसाइज़ किट मुफ्त में दे रहे हैं।


10. भविष्य की झलक – 2030 तक क्या बदलेगा?

  • 2025 में भारत में सीनियर सिटीज़न्स की संख्या 15 करोड़ से अधिक है

  • 2030 तक यह संख्या 20 करोड़ हो सकती है

  • Wearable Devices, स्मार्ट वॉच, फिटनेस ऐप्स और वर्चुअल जिम से बुज़ुर्गों की फिटनेस और आसान होगी

जैसे जैसे टाइम बड़ रहा है उसी तरह बीमारी और बहुत साडी दिक्कत बढ़ रही है लकिन इससे सबसे ज्यादा बुज़ुर्ग लोगो पे फर्क पड रहा है जो अपनी बीमारी से अच्छा से लड़ नहीं पा रहा है क्यों की उनका इम्यून सिस्टम वीक हो चूका है और अब वो लोग भी GYM का सहारा ले रहा है क्यों की वह वो हर चीज़ है जिससे यह आपने आप को अंदर से स्ट्रांग बना सकते है हर तरह से जो इन बीमारी से लड़ सके 

निष्कर्ष

अब उम्र सिर्फ एक संख्या है।

भारत के बुज़ुर्ग अब थके हुए नहीं, बल्कि सजग, सेहतमंद और सक्रिय हैं। जिम उनका नया अड्डा बन रहा है — जहां पसीना बहता है, मुस्कान खिलती है, और उम्र रुक जाती है।

अगर आप भी घर में किसी बुज़ुर्ग को प्रेरित करना चाहते हैं — उन्हें जिम, योगा या कम से कम टहलने के लिए भेजिए।
क्योंकि स्वस्थ बुज़ुर्ग ही स्वस्थ समाज की पहचान हैं।

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